TEEJ Kyu Manaya Jata Hai 2023 | तीज क्यों मनाई जाती है?

TEEJ Kyu Manaya Jata Hai | तीज क्यों मनाई जाती है | Tij Kya Hota Hai | Tij Kyu Manate Hai | तीज क्यों मनाते हैं, तीज का त्योहार कैसे मनाया जाता है?

नमस्कार दोस्तों, आज हम आपको अपने इस लेख के माध्यम से हम आपको TEEJ Kyu Manaya Jata Hai | तीज क्यों मनाई जाती है? के बारे में बताने वाले है तो आप इस आर्टिकल को अंत तक जरूर पढ़ें। आपको हम  TIJ Kyu Manaya Jata Hai के बारे में पूरी जानकारी देने वाले है।

हरियाली TEEJ का व्रत, सावन मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को रखा जाता है। इस व्रत से संतान प्राप्ति और पति के दीर्घायु होने का वरदान मिलने की मान्यता है. हिंदू कैलेंडर के अनुसार, सावन माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरियाली तीज कहते हैं। इस तिथि को महिलायें व्रत रखकर माता पारवती की पूजा करती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस तिथि को भगवान शिव और माता पार्वती का दोबारा मिलन हुआ ​था।

TEEJ Kyu Manaya Jata Hai 2021

Hariyali TEEJ Kyu Manaya Jata Hai 2022 | हरियाली तीज क्यों मनाया जाता है?

हरियाली तीज के दिन महिलाएं ओए पति की लंबी उम्र की प्राप्ति के लिए व्रत रखती है। तथा संतान प्राप्ति व सुखमय वैवाहिक जीवन की कामना करती है। हरियाली तीज को निर्जला व्रत रखकर पति के आर्थिक विकास एवं अखंड सौभाग्य वती होने का का वरदान प्राप्त करती हैं। इस लिए हरियाली तीज का व्रत सुहागिन महिलाओं के लिए अति विशिष्ट होता है।

Hartalika TIJ Kyu Manaya Jata Hai 2022

हरितालिका तीज (Hartalika Teej 2022) सावन के बाद आने वाले भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाई जाती है। करवा चौथ की तरह रखे जाने इस व्रत को बहुत बड़ा व्रत माना जाता है। खासकर यूपी, बिहार, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ में इस व्रत को मनाया जाता है। हरितालिका तीज में श्रीगणेश, भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है।

हरितालिका तीज क्यों मनाया जाता है?

इस साल हरितालिका 9 सितंबर दिन गुरुवार को पड़ रही है। हरितालिका तीज से पहले सावन में हरियाली और कजरी तीज मनाई जाती हैं। शास्त्रों के अनुसार, इस व्रत को रखने से अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है।

इस दिन महिलाएं सोलह श्रृंगार कर पति की लंबी आयु के लिए व्रत रखती हैं। हरतालिका TEEJ व्रत में महिलाएं 24 घंटे तक बिना अन्न और जल के रहती हैं। हर जगह अपनी-अपनी परंपरा के अनुसार नियम अलग-अलग है। कई जगह फलाहार कर सकते हैं। पूरे दिन के व्रत रखने के बाद अगले दिन सुबह ही व्रत खोला जाता है।

हरतालिका तीज व्रत महत्व

हरतालिका तीज पर सुहागिन स्त्रियां अपने पति की लंबी आयु और सुख, समृद्धि के लिए व्रत रखती है। तीज के व्रत को सबसे कठिन व्रतों में से एक माना गया है। इस व्रत में सुहागिन स्त्रियां अन्न और जल को ग्रहण नहीं करती हैं. इसलिए इस व्रत को कठिन माना गया है। इस व्रत को विधि पूर्वक करने से दांपत्य जीवन में आनंद बना रहता है. इसमें सोलह श्रृंगार का भी विशेष महत्व बताया गया है।

TIJ Kyu Manaya Jata Hai

श्रावण शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को सौभाग्य और मनचाहे वर की प्राप्ति के लिए TEEJ का त्यौहार मनाया जाता है। इस साल महिलाएं ये त्योहार 3 अगस्त को मनाने वाली हैं। यह पर्व सावन के महीने में आता है जब इस समय चारों तरफ हरियाली छाई होती है।

यही वजह है कि इस त्योहार को हरियाली तीज के नाम से बुलाया जाता है। मान्यता है कि भगवान शंकर को पति के रूप में पाने के लिए माता पार्वती ने 107 जन्म लिए थे। मां पार्वती के कठोर तप और उनके 108वें जन्म में भगवान शिव ने देवी पार्वती को अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया। तभी से इस व्रत की शुरुआत हुई।

तीज क्यों मनाई जाती है?

TEEJ के दिन जो सुहागन महिलाएं सोलह श्रृंगार करके भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा करती हैं, उनका सुहाग लंबे समय तक बना रहता है। वृक्ष,नदियों तथा जल के देवता वरुण की भी इस दिन उपासना की जाती है।

कुवांरी लड़कियां यह त्यौहार मनचाहे वर की प्राप्ति के लिए मनाती हैं। अगर किसी कन्या का विवाह नहीं हो पा रहा हो तो उसे इस दिन व्रत तथा पूजा अर्चना करनी चाहिए। इसके अलावा जिन महिलाओं का विवाह हो चुका है। उनको संयुक्त रूप से भगवान शिव और पार्वती की उपासना करनी चाहिए।

हरियाली तीज की पौराणिक मान्यताएं

पौराणिक कथाओं के अनुसार माता पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की थी। इससे प्रसन्न होकर शिव ने हरियाली तीज के दिन ही माँ पार्वती को पत्नी रूप में स्वीकार किया था। अखंड सौभाग्य का प्रतीक यह त्यौहार भारतीय परंपरा में पति-पत्नी के प्रेम को और प्रगाढ़ बनाने तथा आपस में श्रद्धा और विश्वास कायम रखने का त्यौहार है।

इसके आलावा यह पर्व पति-पत्नी को एक दूसरे के लिए त्याग करने का संदेश भी देता है। TEEJ के दिन कुंवारी कन्याएं व्रत रखकर अपने लिए शिव जैसे वर की कामना करती हैं वहीं विवाहित महिलाएं अपने सुहाग को भगवान शिव तथा पार्वती से अक्षुण बनाये रखने की कामना करती हैं। 

हरियाली तीज पूजा विधि

हरियाली तीज में हरी चूड़ियाँ, हरे वस्त्र पहनने,सोलह शृंगार करने और मेहंदी रचाने का विशेष महत्व है। इस त्यौहार पर विवाह के पश्चात पहला सावन आने पर नवविवाहित लड़कियों को ससुराल से पीहर बुला लिया जाता है। लोकमान्य परंपरा के अनुसार नव विवाहिता लड़की के ससुराल से इस त्यौहार पर सिंजारा भेजा जाता है।

जिसमें वस्त्र,आभूषण, श्रृंगार का सामान, मेहंदी, फैंसी जेवर और मिठाई इत्यादि सामान भेजा जाता है। इस दिन महिलाएं मिट्टी या बालू से मां पार्वती और शिवलिंग बनाकर उनकी पूजा करती हैं। पूजन में सुहाग की सभी सामिग्री को एकत्रित कर थाली में सजाकर माता पार्वती को चढ़ाना चाहिए।

Hariyali TIJ Kyu Manaya Jata Hai 2022

नैवेध में भगवान को खीर पूरी या हलुआ और मालपुए से भोग लगाकर प्रसन्न करें। तत्पश्चात भगवान शिव को वस्त्र चढ़ाकर तीज माता की कथा सुननी या पढ़नी चाहिए। पूजा के बाद इन मूर्तियों को नदी या किसी पवित्र जलाशय में प्रवाहित कर दिया जाता है।

शास्त्रों के अनुसार भगवान शिव और देवी पार्वती ने इस तिथि को सुहागन स्त्रियों के लिए सौभाग्य का दिन होने का वरदान दिया है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन जो सुहागन स्त्रियां सोलह श्रृंगार करके भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा करती हैं,उनको सुख-सौभाग्य की प्राप्ति होती है। 

जयपुर में निकलती है तीज की सवारी

राजस्थान के लोगों के लिए यह त्यौहार जीवन का सार है। खासकर राजधानी जयपुर में इसकी अलग ही छठा देखने को मिलती है। तीज के अवसर पर जयपुर में लगने वाला यह मेला पूरी दुनिया में अपना एक विशिष्ठ स्थान रखता है।

इस दिन तीज माता की पूजा-अर्चना के बाद TEEJ माता की सवारी निकाली जाती है।पार्वती जी की प्रतिमा जिसे तीज माता कहते हैं,को जुलूस उत्सव में ले जाया जाता है।उत्सव से पहले प्रतिमा का पुनः रंग-रोगन किया जाता है और नए परिधान तथा आभूषण पहनाए जाते हैं शुभ मुहूर्त में जुलूस निकाला जाता है।

तीज क्यों मनाया जाता है।

लाखों लोग इस दौरान माता के दर्शनों के लिए उमड़ पड़ते हैं। सुसज्जित हाथी और घोड़े इस जुलूस की शोभा को बढ़ा देते हैं यह सवारी त्रिपोलिया बाज़ार,छोटी चौपड, गणगौरी बाज़ार और चौगान होते हुए पालिका बाग़ पहुंचकर विसर्जित होती है।

सवारी को देखने के लिये रंग बिरंगी पोशाकों से सजे ग्रामीणों के साथ ही भारी संख्या में विदेशी पर्यटक भी आते हैं। चारों तरफ रंग-बिरंगे परिधानों में सजे लोग,घेवर-फीणी की महक,प्रकृति का सौंदर्य इस त्यौहार को और भी अनूठा बना देते हैं।

खुले स्थान पर बड़े-बड़े वृक्षों की शाखाओं पर बंधे हुए झूले,स्त्रियों व बच्चों के लिए बहुत ही मनभावन होते हैं। मल्हार गाते हुए मेहंदी रचे हुए हाथों से रस्सी पकडे झूलना एक अनूठा अनुभव ही तो है। नारियां, सखी-सहेलियों के संग सज-संवर कर लोकगीत,कजरी आदि गाते हुए झूला झूलती हैं। पूरा वातावरण ही गीतों के मधुर स्वरों से संगीतमय,गीतमय,रसमय हो उठता है।

क्या है TEEJ पर्व को मनाने के पीछे कहानी?

तीज का त्योहार माता पार्वती के भगवान शिव के साथ मिलन की खुशी के तौर पर मनाया जाता है। इस दिन देशभर में महिलाएं रंग बिरंगे कपड़े पहनकर गीत गाती हैं और नृत्य भी करती हैं। महिलाएं साथ मिलकर हाथों पर मेहंदी लगाने के साथ ही एक दूसरे को किस्से-कहानियां सुनाती हैं। घेवर, नारियल के लड्डू, आलू का हलवा जैसी कई मिठाइयां इस दिन बनायी और खायी जाती हैं।

हिंदू धर्म गुरुओं के अनुसार, माता पार्वती को 108 बार जन्म-पुनर्जन्म लेना पड़ा था तब जाकर भगवान शिव ने उनसे विवाह के लिए हामी भरी थी। देवी पार्वती को TEEJ माता भी कहते हैं। देशभर में हिंदू महिलाएं इस दिन उनकी पूजा करती हैं और अपने पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं।

भारत में प्रचलित हैं तीज के कई रूप

तो वहीं मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में ‘कजरी तीज’ समय और जगह के साथ इस पर्व को मनाने के तरीकों में भी बदलाव आया है। ‘हरियाली तीज’ नाम सावन के महीने में प्रकृति में हर तरफ हरियाली की अधिकता के कारण दिया गया है।

यह एक सुखी और समृद्ध वैवाहिक जीवन के प्रतीक के तौर पर मनाई जाती है। ‘कजरी तीज’ मनाते समय कुंवारी लड़कियां भगवान शिव से एक अच्छे पति की कामना करती हैं। ताकि वो यह त्योहार उनके साथ मना सके।

हरियाली तीज मुहूर्त

हिंदू पंचांग के अनुसार, सावन माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि 10 अगस्त दिन मंगलवार को शाम 06 बजकर 05 मिनट से शुरू हो रही है। यह तिथि अगले दिन 11 अगस्त, बुधवार को शाम 04 बजकर 53 मिनट पर समाप्त होगी। चूंकि व्रत उदया तिथि के दिन रखा जाता है।

हरियाली TEEJ कब है?

इसलिए इस वर्ष हरियाली तीज का व्रत को रखा जाएगा। हरियाली तीज के व्रत में माता पार्वती को पूजा के समय हरे रंग की वस्तुएं चढ़ाई जाती हैं। क्योंकि माता पार्वती को प्रकृति का स्वरूप माना जाता है। इसके आलावा माता पार्वती की पूजा के दौरान उन्हें सोलह श्रृंगार की वस्तुएं चढ़ाई जताई हैं। पूजा करने के बाद हरियाली तीज व्रत की कथा भी सुनी जाती है।

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