Nag Panchami Kyu Manaya Jata Hai 2024 | नागपंचमी का त्योहार क्यों मनाया जाता है? | Nag Panchami in Hindi | Nag Panchami Information in Hindi | नाग पंचमी क्यों मनाई जाती है?
नमस्कार दोस्तों, आज हम आपको अपने इस लेख के माध्यम से हम आपको Nag Panchami Kyu Manaya Jata Hai Bataiye 2024 | नागपंचमी का त्योहार क्यों मनाया जाता है? के बारे में बताने वाले है तो आप इस आर्टिकल को अंत तक जरूर पढ़ें। आपको हम Nag Panchami Kyu Manaya Jata Hai के बारे में पूरी जानकारी देने वाले है।
Nag Panchami Kyu Manaya Jata Hai Bataiye 2024 | नागपंचमी का त्योहार क्यों मनाया जाता है?
नाग पंचमी (Nag Panchami) 02 अगस्त 2024 को मनाई जायेगी. इस दिन नाग पूजा और रुद्राभिषेक का विशेष महत्व है। मान्यता है कि इस दिन नाग पूजन से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है। नाग पंचमी का त्योहार हिंदू धर्म में बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान रखता है। इस दिन भगवान शिव की पूजा के साथ -साथ नाग देवता की पूजा का विधान है।

नाग पंचमी हर साल सावन मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाई जाती है। इस दिन भगवान शिव की पूजा के साथ नागों की पूजा करने से कालसर्प दोष का प्रभाव खत्म हो जाता है। भक्त पर शिव की कृपा होने से उनकी सारी मुरादें पूरी होती हैं। धार्मिक मान्यता है कि नाग पंचमी के दिन रुद्राभिषेक करने से उसे सभी कष्टों से मुक्ति मिल जाती है।
नाग पंचमी को क्यों की जाती है नागों की पूजा
मान्यताओं के अनुसार, Nag Panchami के दिन अनंत, वासुकि, शेष, पद्म, कंबल, अश्वतर, शंखपाल, धृतराष्ट्र, तक्षक, कालिया और पिंगल नामक इन 12 नाग देवताओं का स्मरण करते हुए पूजन किया जाता है। मान्यता है कि ऐसा करने से भय तत्काल खत्म होता है और जिसके कुंडली में सर्पदोष है उसका प्रभाव कम हो जाता है। नाग देवता के मंत्र ‘ऊं कुरुकुल्ये हुं फट् स्वाहा’ का जाप अति लाभदायक माना जाता है।
मान्यता है कि नाग देवता का मात्र नाम स्मरण करने से धन लाभ होता है। यदि आपकी कुंडली में राहु और केतु अपनी नीच राशियों में विराजमान है तो आपको नागपंचमी के दिन नागों की पूजा अवश्य करनी चाहिए। माना जाता है कि इससे कुंडली में राहु और केतु का दोष समाप्त होता है।
क्यों मनाया जाता है नागपंचमी का त्योहार
जब अमृत प्राप्त करने के लिए समुद्र मंथन किया गया तो नाग ने माता की आज्ञा नहीं मानी जिसके कारण उसे श्राप मिला कि राजा जनमेजय के यज्ञ में जलकर भस्म हो जाए। श्राप के डर से नाग घबरा गए और ब्रह्माजी की शरण में गए। ब्रह्माजी ने नागों के इस श्राप से बचने के लिए बताया कि जब नागवंश में महात्मा जरत्कारू के पुत्र आस्तिक उत्पन्न होगें। वही आप सभी की रक्षा करेंगे। ब्रह्माजी ने नागो को रक्षा के लिए यह उपाय Nag Panchami तिथि को बताया था।
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आस्तिक मुनि ने सावन की पंचमी वाले दिन ही नागों को यज्ञ में जलने से रक्षा की थी। और इनके जलते हुए शरीर पर दूध की धार डालकर इनको शीतलता प्रदान की थी। उसी समय नागों ने आस्तिक मुनि से कहा कि पंचमी को जो भी मेरी पूजा करेगा उसे कभी भी नागदंश का भय नहीं रहेगा। तभी से Nag Panchami तिथि के दिन नागों की पूजा की जाने लगी।
नाग पंचमी की कथा
किसी राज्य में एक किसान परिवार रहता था उस किसान के दो लड़के और एक लड़की थी। एक दिन हल जोतते समय गलती से उसके हल से नाग के तीन बच्चे कुचल कर मर गए। यह देखकर उन बच्चों की मां नागिन ने अपनी संतान के हत्यारे से बदला लेने का संकल्प किया। रात के समय अंधकार में नागिन ने किसान, उसकी पत्नी व दोनों लड़कों को डस लिया। अगले दिन जब सुबह-सुबह नागिन किसान की पुत्री को डसने के उद्देश्य से किसान के घर की तरफ फिर चली।
तो किसान की कन्या ने उसके सामने दूध से भरा कटोरा रख दिया। और हाथ जोड़कर उसने क्षमा मांगी। नागिन ने कन्या से प्रसन्न होकर उसके माता-पिता व दोनों भाइयों को पुनः जीवित कर दिया। कहते हैं कि उस दिन श्रावण शुक्ल पंचमी थी। मान्यता अनुसार तब से आज तक नागों के कोप से बचने के लिए नाग पंचमी (Nag Panchami)के दिन नागों की पूजा की जाती है।
कालसर्प दोष के लिए नागपंचमी का दिन सर्वोत्तम क्यों माना जाता है।
जब कुंडली में सारे ग्रह राहु-केतु के बीच में आ जाते हैं तो जातक के कालसर्प दोष लगता है। जिस इंसान की कुंडली में कालसर्प दोष होता है, उसे पारिवारिक जीवन से लेकर व्यापार, नौकरी क्षेत्र में बहुत सारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। नागपंचमी का दिन कालसर्प दोष के निवारण के लिए सर्वोत्तम माना गया है।
नागपंचमी के दिन लोग क्यों नहीं करते धरती की खुदाई
पुराणों के अनुसार नागों को पाताल लोक का स्वामी माना गया है। सांपो को क्षेत्रपाल भी कहा जाता है। सांप चूहों आदि से किसान के खेतों की रक्षा करते हैं। साथ ही नाग भूमि में बांबी बना कर रहते हैं इसलिए नागपंचमी के दिन भूलकर भी भूमि की खुदाई नहीं करनी चाहिए।
किन-किन चीजों से की जाती है नागों की पूजा
नागपंचमी के दिन नागों की पूजा में पांच तरह की चीजों का उपयोग किया जाता हैं। धान,धान का लावा(जिन्हें खील भी कहा जाता है) दूर्वा, गाय का गोबर और दूध यो पांच चीजें हैं जिनसे नागदेवता की पूजा करते हैं।
नाग पंचमी और भगवान श्री कृष्ण की कहानी
पौराणिक कथाओं के अनुसार नाग पंचमी का एक किस्सा भगवान कृष्ण से भी जुड़ा हुआ है। कहते हैं कि एक बार जब भगवान कृष्ण अपने दोस्तों के साथ खेल रहे थे तब गलती से उनकी गेंद नदी में जा गिरी। इस नदी में कालिया नाग का वास था। गेंद नदी में जाती देख भगवान कृष्ण नदी में जा कूद पड़े। नदी में कालिया नाग ने भगवान कृष्ण पर हमला कर दिया लेकिन भगवान कृष्ण ने उसे सबक सिखाया।
भगवान विष्णु के अवतार श्री कृष्ण जी को जानने के बाद कालिया नाग ने उनसे मांफी मांगी और वचन दिया कि वो अब से किसी को भी नुकसान नहीं पहुंचाएगा। कहते है कि कालिया नाग पर श्री कृष्ण की विजय को भी नाग पंचमी के रूप में मनाया जाता है।
क्यों मनाई जाती है नागपंचमी (Nag Panchami)
ऐसी मान्यता है कि श्रावण शुक्ल पंचमी तिथि को समस्त नाग वंश ब्रह्राजी के पास अपने को श्राप से मुक्ति पाने के लिए मिलने गए थे। तब ब्रह्राजी ने नागों को श्राप से मुक्ति किया था, तभी से नागों का पूजा करने की परंपरा चली आ रही हैएक दूसरी कथा भी प्रचलित है जहां पर ब्रह्राजी ने धरती का भार उठाने के लिए नागों को शेषनाग से अलंकृत किया था तभी से नाग देवता की पूजा की जाती है। एक कहानी के अनुसार समुद्रमंथन में वासुगि नाग को रस्सी बनाकर मंथन किया गया था, जिसके बाद नागों के महत्व के कारण नागपंचमी का त्यौहार मनाया जाता है.
पुराणों में उल्लेखित कहानियों के अनुसार ऐसे हुई थी इन नागों की उत्पत्ति
नागों का जन्म ऋषि कश्यप की दो पत्नियों कद्रु और विनता से हुआ था।
शेषनाग
शेषनाग का दूसरा नाम अनन्त भी है। शेषनाग ने अपनी दूसरी माता विनता के साथ हुए छल के कारण गंधमादन पर्वत पर तपस्या की थी। इनकी तपस्या कारण ब्रह्राजी ने उन्हें वरदान दिया था। तभी से शेषनाग ने पृथ्वी को अपने फन पर संभाले हुए है। धर्मग्रंथो में लक्ष्मण और बलराम को शेषनाग के ही अवतार माना गया है। शेषनाग भगवान विष्णु के सेवक के रूप में क्षीर सागर में रहते हैं।
वासुकि नाग
नाग वासुकि को समस्त नागों का राजा माना जाता है। धर्म ग्रंथों के अनुसार समुद्र मंथन के समय नागराज वासुकि को रस्सी के रूप में प्रयोग किया गया था। त्रिपुरदाह यानि युद्ध में भगवान शिव ने एक ही बाण से राक्षसों के तीन पुरों को नष्ट कर दिया था। उस समय वासुकि शिव के धनुष की डोर बने थे।
तक्षक नाग
तक्षक नाग के बारे में महाभारत में एक कथा है। उसके अनुसार श्रृंगी ऋषि के श्राप के कारण तक्षक नाग ने राजा परीक्षित को डसा था जिससे उनकी मृत्यु हो गई थी। तक्षक नाग से बदला लेने के उद्देश्य से राजा परीक्षित के पुत्र जनमेजय ने सर्प यज्ञ किया था। इस यज्ञ में अनेक सर्प आकर गिरने लगे। तब आस्तीक मुनि ने तक्षक के प्राणों की रक्षा की थी। तक्षक ही भगवान शिव के गले में लिपटा रहता है।