[Holi 2024] Kyu Manaya Jata Hai Holi: होली क्यों मनाई जाती है? जानिए होली का इतिहास!

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नमस्कार दोस्तों, आज हम आपको अपने इस लेख के माध्यम से हम आपको Holi के बारे में पूरी जानकारी देने वाले है Holi 2024 | होली क्यों मनाई जाती है? जानिए होली का इतिहास  तो दोस्तों अगर आप भी होली के बारे में जानना चाहते है तो आप हमारे इस लेख को ध्यान से अंतिम तक जरुर पढ़े।

Holi Kyu Manaya Jata Hai

आप सभी को होली 2024 की हार्दिक शुभकामनायें, होली जिसे ‘रंगों का त्योहार’ के रूप में मनाया जाता है।आज इस आर्टिकल में जानेगे होली क्यों मनाई जाती है (Holi Kyu Manaya Jata Hai). फाल्गुन (मार्च) के महीने में पड़ने वाली पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। होली मनाने के लिए ग्रामीण लोग ढोल-बाजे आदि के बीच बड़े हर्षो उल्लास के साथ मानते है। हमारे देश में अन्य त्योहारों की तरह ही, होली का त्योहार भी बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। प्राचीन पौराणिक कथाओं के अनुसार, राजा हिरण्यकश्यपु की एक पौराणिक कथा है जिसके साथ होली की पूरी कहानी जुड़ी हुई है।

Holi Kyu Manaya Jata Hai?

Kyu Manaya Jata Hai Holi

Holi बसंत का त्यौहार है और इसके आने पर सर्दी ख़त्म हो जाती है। कुछ हिस्सों में इस त्यौहार का संमंध बसंत की फसल पकने से भी है। किसान अच्छी फसल पैदा होने की खुसी में होली मनाते है। होली को वसंत महोत्सव या काम महोत्सव भी कहते है। इस दिन लोग आपसी कटुता और वैरभाव को भुलाकर एक-दूसरे को इस प्रकार रंग लगाते हैं कि लोग अपना चेहरा भी नहीं पहचान पाते हैं। रंग लगने के बाद मनुष्य शिव के गण के समान लगने लगते हैं जिसे देखकर भोलेशंकर भी प्रसन्न होते हैं। इस दिन शिव और शिवभक्तों के साथ होली के प्यारभरे रंगों का आनंद लेते हैं व प्रेम एवं भक्ति के आनंद में डूब जाते हैं।

होली क्यों मनाई जाती है?

होली फाल्गुन मास की पूर्णिमा

होली वसंत ऋतु में मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण भारतीय और नेपाली लोगों का त्यौहार है। यह पर्व हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। होली रंगों का तथा हँसी-खुशी का त्योहार है। यह भारत का एक प्रमुख और प्रसिद्ध त्योहार है, जो आज विश्वभर में मनाया जाने लगा है। रंगों का त्यौहार कहा जाने वाला यह पर्व पारंपरिक रूप से दो दिन मनाया जाता है। यह प्रमुखता से भारत तथा नेपाल में मनाया जाता है।

प्रमुखतः धुलेंडी व धुरड्डी, धुरखेल या धूलिवंदन

यह त्यौहार कई अन्य देशों जिनमें अल्पसंख्यक हिन्दू लोग रहते हैं वहाँ भी धूम-धाम के साथ मनाया जाता है। पहले दिन को होलिका जलायी जाती है, जिसे होलिका दहन भी कहते हैं। दूसरे दिन, जिसे प्रमुखतः धुलेंडी व धुरड्डी, धुरखेल या धूलिवंदन इसके अन्य नाम हैं। लोग एक दूसरे पर रंग, अबीर-गुलाल इत्यादि फेंकते हैं, ढोल बजा कर होली के गीत गाये जाते हैं और घर-घर जा कर लोगों को रंग लगाया जाता है।

रंगने और गाने-बजाने का दौर

ऐसा माना जाता है कि Holi के दिन लोग पुरानी कटुता को भूल कर गले मिलते हैं और फिर से दोस्त बन जाते हैं। एक दूसरे को रंगने और गाने-बजाने का दौर दोपहर तक चलता है। इसके बाद स्नान कर के विश्राम करने के बाद नए कपड़े पहन कर शाम को लोग एक दूसरे के घर मिलने जाते हैं, गले मिलते हैं और मिठाइयाँ खिलाते हैं।

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होली का इतिहास

हिरण्यकश्यप

हिरण्यकश्यप प्राचीन भारत का एक राजा था जो कि राक्षस की तरह था। वह अपने छोटे भाई की मौत का बदला लेना चाहता था जिसे भगवान विष्णु ने मारा था। इसलिए अपने आप को शक्तिशाली बनाने के लिए उसने सालों तक प्रार्थना की। आखिरकार उसे वरदान मिला। लेकिन इससे हिरण्यकश्यप खुद को भगवान समझने लगा और लोगों से खुद की भगवान की तरह पूजा करने को कहने लगा।

प्रहलाद

राजा हिरण्यकश्यप का एक बेटा था जिसका नाम प्रहलाद था और वह भगवान विष्णु का परम भक्त था। प्रहलाद ने अपने पिता का कहना कभी नहीं माना और वह भगवान विष्णु की पूजा करता रहा। बेटे द्वारा अपनी पूजा ना करने से नाराज उस राजा ने अपने बेटे को मारने का निर्णय किया। उसने अपनी बहन होलिका से कहा कि वो प्रहलाद को गोद में लेकर आग में बैठ जाए क्योंकि होलिका आग में जल नहीं सकती थी।

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होलिका की मौत

उनकी योजना प्रहलाद को जलाने की थी, लेकिन उनकी योजना सफल नहीं हो सकी क्योंकि प्रहलाद सारा समय भगवान विष्णु का नाम लेता रहा और बच गया पर होलिका जलकर राख हो गई। होलिका की ये हार बुराई के नष्ट होने का प्रतीक है। इसके बाद भगवान विष्णु ने हिरण्यकश्यप का वध कर दिया, इसलिए होली का त्योहार, होलिका की मौत की कहानी से जुड़ा हुआ है। इसी कारन बिहार सहित भारत के अन्य राज्यों में भी Holi से एक दिन पहले बुराई के अंत के प्रतीक के तौर पर होली जलाई जाती है।

होली के बारे में

यह कहानी भगवान विष्णु के अवतार भगवान कृष्ण के समय तक जाती है। माना जाता है कि भगवान कृष्ण रंगों से होली मनाते थे। इसलिए होली का त्योहार रंगों के रूप में लोकप्रिय हुआ। वे वृंदावन और गोकुल में अपने साथियों के साथ Holi मनाते थे। वे पूरे गांव में मज़ाक भरी शैतानियां करते थे। आज भी वृंदावन जैसी मस्ती भरी Holi कहीं नहीं मनाई जाती। होली वसंत का त्यौहार है और इसके आने पर सर्दियां खत्म होती हैं। कुछ हिस्सों में इस त्यौहार का संबंध वसंत की फसल पकने से भी है। किसान अच्छी फसल पैदा होने की खुशी में होली मनाते हैं। होली को ‘वसंत महोत्सव’ या ‘काम महोत्सव’ भी कहते हैं।

होली एक प्राचीन त्यौहार है

होली प्राचीन हिंदू त्यौहारों में से एक है और यह ईसा मसीह के जन्म के कई सदियों पहले से मनाया जा रहा है। होली का वर्णन जैमिनि के पूर्वमिमांसा सूत्र और कथक ग्रहय सूत्र में भी है। प्राचीन भारत के मंदिरों की दीवारों पर भी होली की मूर्तियां बनी हैं। ऐसा ही 16वीं सदी का एक मंदिर विजयनगर की राजधानी हंपी में है। इस मंदिर में होली के कई दृश्य हैं जिसमें राजकुमार, राजकुमारी अपने दासों सहित एक दूसरे पर रंग लगा रहे हैं। कई मध्ययुगीन चित्र, जैसे 16वीं सदी के अहमदनगर चित्र, मेवाड़ पेंटिंग, बूंदी के लघु चित्र, सब में अलग अलग तरह होली मनाते देखा जा सकता है।

होली के रंग

पहले होली के रंग टेसू या पलाश के फूलों से बनते थे और उन्हें गुलाल कहा जाता था। वो रंग त्वचा के लिए बहुत अच्छे होते थे क्योंकि उनमें कोई रसायन नहीं होता था। लेकिन समय के साथ रंगों की परिभाषा बदलती गई। आज के समय में लोग रंग के नाम पर कठोर रसायन का उपयोग करते हैं। इन खराब रंगों के चलते ही कई लोगों ने होली खेलना छोड़ दिया है। हमें इस पुराने त्यौहार को इसके सच्चे स्वरुप में ही मनाना चाहिए।

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Holi Kab Aur Kyu Manaya Jata Hai

होली एक दिन का त्योहार नहीं है जैसा कि भारत के अधिकांश राज्यों में मनाया जाता है यह तीन दिनों तक मनाया जाता है।

पहला दिन :– पूर्णिमा के दिन (होली पूर्णिमा) एक थाली में छोटे पीतल के बर्तनों में रंगीन पाउडर और पानी की व्यवस्था की जाती है। उत्सव की शुरुआत सबसे बड़े पुरुष सदस्य के साथ होती है जो अपने परिवार के सदस्यों पर रंग छिड़कता है।

दुशरा दिन :– इसे ‘पुणो’ के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन होलिका की प्रतिमाएं जलाई जाती हैं और लोग होलिका और प्रहलाद की कहानी को याद करने के लिए अलाव जलाते हैं। अपने बच्चों के साथ माताएं अग्नि के देवता का आशीर्वाद लेने के लिए पांच राउंड की अग्नि को एक दक्षिणावर्त दिशा में ले जाती हैं।

तीशरे दिन : इस दिन को ‘पर्व’ के रूप में जाना जाता है और यह Holi के उत्सव का अंतिम और अंतिम दिन होता है। इस दिन एक दूसरे पर रंगीन पाउडर और पानी डाला जाता है। राधा और कृष्ण के देवताओं की पूजा की जाती है और उन्हें रंगों से रंगा जाता है।

Q1 : Holi का त्योहार क्यों मनाया जाता है?
Ans :- होली का त्यौहार वसंत ऋतु के आगमन और आने वाले पर्वों, और बुराई पर अच्छाई की जीत के लिए मनाया जाता है। हालांकि यह पारंपरिक रूप से एक हिंदू त्योहार है, होली दुनिया भर में मनाई जाती है और एक महान तुल्यकारक है।

Q2 : होली का त्यौहार कब और क्यों मनाया जाता है?
Ans :- Holi 2024 का त्योहार हिंदू चंद्र कैलेंडर माह के अंतिम पूर्णिमा के दिन होता है। यह दो दिवसीय कार्यक्रम है: पहले दिन, परिवार एक पवित्र अलाव के लिए एकत्र होते हैं। दूसरे दिन, रंगों का त्योहार मनाया जाता है। 2024 में, होली शनिवार 19 मार्च को है।

Q3 : होली का त्योहार कैसे मनाया जाता है?
Ans :- होली (Holi) के लिए हम जिन सूखे पाउडर के रंगों का उपयोग करते हैं, उन्हें गुलाल कहा जाता है, और पानी के साथ मिश्रित रंग को रंग कहा जाता है। हमारे समारोहों में, हम रंगों के बैग और पानी के गुब्बारे, रंगीन पानी से भरे पूल, और पानी के झोंके या पिचकारी के साथ टेबल सेट करते हैं।

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